Saturday, September 8, 2012

आहिस्ता आहिस्ता

Excerpts from a jugalbandi with a friend...

ये सर्द हवा ले आई उसकी याद आहिस्ता,
छू लेने को बड़ा ये मेरा हाथ आहिस्ता।।
मुद्दत से वो वहां और में तनहा हु यहाँ,
जब मिलेंगे,होगी बस प्यार की बात आहिस्ता ..

वो मिलेंगे तो झुक जाएँगी ये पलकें आहिस्ता
छू लेंगे वो, तो बंद  हो जायंगे ये लब्ब आहिस्ता।।
बाहें फैला देंगे तो उनमे सिमट जायेंगे आहिस्ता
हम आज भी मिलते उनसे
तो बस सुनने को बेताब रहते है वही तीन लफ्ज़ आहिस्ता आहिस्ता ..


कह दे जो वो ये लफ्ज़ तो खो जाऊ आहिस्ता ,
जो जुल्फ छेड़ दे तो में सो जाऊ आहिस्ता।।
जी करता है आज में रो जाऊ आहिस्ता,
उम्र भर के लिए उनकी ही हो जाऊ आहिस्ता ..


आयेगे  जो अश्क तेरी आँखों में,तो दर्द उनको भी तो होगा आहिस्ता 
 देख कर एक झलक ही,बच्चे की तरह तू उछलना आहिस्ता 
हाथों में हाथ डाल  थाम लेना  आहिस्ता 
 झूम कर उन बाहों में समेट  लेना ये  जहां आहिस्ता 
लब्बो को चेहरे से लगा कर,मेरी दुनिया पुकारना उसको आहिस्ता 
बाँध देना जन्म जन्म के अटूट रिश्तें में आहिस्ता आहिस्ता 


देखता है कितने ख्वाब ये दिल नादान आहिस्ता ..
बरसों दबा के रखे जो अरमान आहिस्ता।।
haaayyyee निकल न जाये,
कहीं मेरी जान आहिस्ता आहिस्ता ....

Sunday, July 8, 2012

भीगी सी वो रात

भीगे मौसम की भीगी सी वो रात ,
भीगी सी उस रात की वो प्यारी सी बात।..
वो भीगी सी आँखे, वो भीगा हुआ साथ ,
दो सुलगते जिस्म और हाथो में हाथ ...

वो भीगी जुल्फों से खेलना,
वो भीगी सी नशीली मुस्कान बिखेरना..
वो भीगे जिस्मो का करीब आते ही दिल का धडकना,
वो भीगी आगोश में समा कर सब कुछ भुलाना..

भीगे से उन पल को,भीगी सी पलकों में कैद करना...
और फिर उस भीगी सी रूह को ज़िन्दगी पुकारना...

इक भीगे से मौसम की इक भीगी सी रात..
और उस भीगी सी रात की ये प्यारी सी याद....