Monday, August 15, 2011

बचपन के दिन

पत्थर की इन इमारतों से मिट्टी के वो किले याद आ रहे है...
बचपन के दिन वो सुनहरे आज फिर याद आ रहे है...

नयी साईकिल लेकर पूरी गली में इतराना...
बरसात की परवाह किये बगैर अपनी कश्ती को मजधार में चलाना....
तंग गलियों में लुक्का छुपी के वो ठिकाने याद आ रहे है...
बचपन के दिन वो सुनहरे आज फिर याद रहे है...

मदारी के बंदर-रीछ से ज्यादा खुद का नाचना...
कंचे,गिल्ली-डंडे के साथ यारी निभाना...
सवेरे-सवेर यारों से मिलन के,स्कूल के वो दिन याद आ रहे है...
बचपन के दिन वो सुनहरे आज फिर याद रहे है...

भाई के साथ मस्ती के वो पल बिताना...
पिताजी का वो कांधे पे बिठा मेला दिखाना...
माँ का वो प्यार से सिहला कर सुलाने के दिन याद आ रहे है...
बचपन के दिन वो सुनहरे आज फिर याद रहे है...

कंहा गया वो बचपन,वो नादानियों से भरा छुटपन...
सच्चाई और मासूमियत से भरा जीवन...
रोक लो मुझे,क्यूँ आज यह आंसू बहते ही जा रहे है ...
बचपन के दिन वो सुनहरे आज फिर याद आ रहे है...



Saturday, August 6, 2011

तोहफा माँ के लिए

तेरे होने से है ज़िन्दगी में बहार
तेरा आँचल थामे किया है ज़िन्दगी की हर ऋतू को पार
चांदनी जैसा कोमल तेरा स्पर्श है
है तुझ में सागर सी अथाह गहराई

ममता का तू संसार है,है तेरी हँसी में एक सच्चाई
बंद निगाहों में जो चमकीले सपने हैं तेरे
टूटने न दूंगा , करूँगा वो सब पूरे
एक दिन खुशियों की बरसात करूँगा है वादा मेरा
आखिर मै हूँ बादल तेरा

जब गुंचा बंधा है अल्फाजो का
तो क्यों न करूँ तेरा रूप बयाँ
कुदरत की तू नियामत है, यह जग है तुझसे गुलशन
तेरी छाया है हम दोनों में , तभी हम भी तो हैं रोशन
परियों से दोस्ती तुमने करवाई
ज़िन्दगी जीने की हर कला सिखाई
मिला है मुझे सब कुछ तुमसे, इबादत करूँ तो वो भी कम है तेरी
तोहफा ये कुबूल करो
एक मुस्कान देने की छोटी सी कोशिश है मेरी

Wednesday, August 3, 2011

Ek pyara dost tumhara....

Log aksar gam bhulate hain sharab ka sahara lekar,
wo ruth kar chale gaye dil-e-chain hamara lekar..
hamne socha pi jaye ham bhi dard usi sharab ke sahare,
yu to jeena mushkil hoga hamara bin tumhare..
palat ke dekhu to aankhon mein chamak si aati hai,
fir achanak ye aankhein yu hi nam ho jati hain..
jo the sabse kareeb ab wo hi ho gaye door,
ham hain ab akele besahara aur majboor..
na hai wohi sama na hai wohi daur,
hamare toote hue dil pe kisne kiya tha gaur??
na thama hath kisine na pas tha koi,
kya kahen janab us waqt ye ruh kitna royi..
pal pal dam todta raha ye zakhmi dil hamara,
aur mar gaya us waqt ek pyara dost tumhara..
bahut karte hain koshish par wo zakhm bharte nahi,
hota koi sath us waqt to ham pal pal marte nahi..
tha us waqt tumhe kisi aur ka sahara,
khush the tum isliye hamne kar liya kinara..
tha mere zehen mein har pal khayal tera,
par iss kadar toone dil tod diya mera..
ki ab chahte hue bhi ham wapas aa nahi sakte,
kaise guzri wo raatein andheri ham bata nahi sakte..
bas yahi kahenge ki pal pal dam todta raha ye zakhmi dil hamara,
aur mar gaya us waqt ek pyara dost tumhara..